Showing posts with label Rahat indori. Show all posts
Showing posts with label Rahat indori. Show all posts

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो

 आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ~राहत इंदौरी


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो

ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो


राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें

रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो


एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो

दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो


आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में

कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो


ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे

नींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो ~ राहत इंदौरी


“जो दुनिया को सुनाई दे, उसे कहते है खामोशी राहत इंदौरी

 



“जो दुनिया को सुनाई दे,

 उसे कहते है खामोशी, 

और जो आंखों को दिखाई दे, 

उसे तूफान कहते है। 

मेरे अंदर से एक एक करके

 सब हो गया रुखसत

 मगर एक चीज बाकी है,

 जिसे ईमान कहते है।” — राहत इंदौरी

Some top post of rahat indori

1.बुरी हो चाहे भली हो मगर खबर में रहो

2.बुलाती है मगर जाने का नहीं

3.रात की धड़कन जब तक जारी रहती है

बुरी हो ,चले भली हो , मगर खबर में रहो!! राहत इंदौरी

बुरी हो ,चाहे भली हो,मगर खबर में रहो

कभी दिमाग , कभी दिल, कभी नज़र में रहो
ये सब तुम्हारे ही घर है किसी भी घर मे रहो
जला न लो कही हमदर्दियो में अपना वजूद
गली में आग लगी हो तो अपने घर मे रहो
तुम्हे पता ये चले घर की राहते क्या है
हमारी तरह अगर चार दिन सफर में रहो
है अब ये हाल कि दर-दर भटकते फिरते हैं
गमो से मैने कहा था कि मेरे घर मे रहो
किसी को जख्म दिए है किसी को फूल दिए
बुरी हो, चाहे भली हो, मगर खबर में रहो.. 
                                        -राहत इंदौरी

Rahat indori shayari collection..

 Rahat indori shayari collection..


रात की धड़कन जब तक जारी रहती है 

सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है 


जब से तू ने हल्की हल्की बातें कीं 

यार तबीअत भारी भारी रहती है 


पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में 

हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है 


वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुँचे हैं 

जिन लोगों के पास सवारी रहती है 


छत से उस की धूप के नेज़े आते हैं 

जब आँगन में छाँव हमारी रहती है 


घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया 

घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

Rahat indori shayari collection..


Rahat indori shayari collection.||राहत इंदौरी..

 Rahat indori shayari collection..


कभी दिमाग़ कभी दिल कभी नज़र में रहो

ये सब तुम्हारे ही घर हैं किसी भी घर में रहो


जला न लो कहीं हमदर्दियों में अपना वजूद

गली में आग लगी हो तो अपने घर में रहो


तुम्हें पता ये चले घर की राहतें क्या हैं

हमारी तरह अगर चार दिन सफ़र में रहो


है अब ये हाल कि दर दर भटकते फिरते हैं

ग़मों से मैं ने कहा था कि मेरे घर में रहो


किसी को ज़ख़्म दिए हैं किसी को फूल दिए

बुरी हो चाहे भली हो मगर ख़बर में रहो

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...