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अब हमें देख के लगता तो नही है लेकिन

 


अब हमें देख के लगता तो नही है लेकिन

हम कभी उसके पसंदीदा हुआ करते थे।

कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

  कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते कि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई ज़माने की फटकार सरमाया इन का जहाँ भर की धुत्का...