Wo kacchi umar ke pyar|| Yasra rizvi,

 Wo kacchi umar ke pyar ...




वो कच्ची उम्र के प्यार भी,

 है तीर भी तलवार भी 


ताजा है दिल पे वार भी ,

और खूब यादगार भी 


घर जाएँ वहशते ऐसी ,

भी कोई रात हो 


सर सफेद हो गया, 

लगता है कल की बात हो 


ये कच्ची उम्र के प्यार भी ,

बड़े पक्के निशान देते है 


आज पे कम ध्यान देते है ,

बहके बहके बयान देते है 


उनके देखे हुए मुद्दत हुई ,

और हम अब भी जान देते है

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