न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
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न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, मिर्जा गालिब
जो आँख से ना टपके वो लहू क्या हैं मिर्जा गालिब
जो आँख से ना टपके वो लहू क्या हैं।। मिर्जा गालिब
हर एक बात पर कहते हो तुम कि तू क्या हैं तुम ही बताओ ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या हैं रगो में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल जो आँख से ना टपके वो लहू क्या हैं -मिर्ज़ा ग़ालिब साहब
मैं गया वक्त नहीं हूँ || मिर्जा गालिब
मैं गया वक्त नहीं हूँ || मिर्जा गालिब
"मेहरबा हो के बुला लो,
मुझे चाहो जिस वक्त,
मैं गया वक्त नहीं हूँ ,
कि फिर आ भी न सकूँ" !! -मिर्जा गालिब
चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह
चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...
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Kya pyar ek baar hota hai .. . क्या प्यार एक बार होता है,नही ये बार बार होता है तो फिर क्यों ,किसी एक का इन्तेजार होता है वो ही तो सच्चा...
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Wo kacchi umar ke pyar ... वो कच्ची उम्र के प्यार भी, है तीर भी तलवार भी ताजा है दिल पे वार भी , और खूब यादगार भी घर जाएँ वहशते ऐसी , भी...
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Tum kamaal karte ho. .. तुम कमाल करते हो, यूं धड़कनो का, मेरी इस्तेमाल करते हो के जलतरंग मैं हो जाऊं रंग रंग मैं हो जाऊं तुम्हारा नाम ले ...