Showing posts with label Mirja galib. Show all posts
Showing posts with label Mirja galib. Show all posts

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, मिर्जा गालिब

 न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,





न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता ! - मिर्जा गालिब

जो आँख से ना टपके वो लहू क्या हैं मिर्जा गालिब

 जो आँख से ना टपके वो लहू क्या हैं।। मिर्जा गालिब

हर एक बात पर कहते हो तुम कि तू क्या हैं तुम ही बताओ ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या हैं रगो में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल जो आँख से ना टपके वो लहू क्या हैं -मिर्ज़ा ग़ालिब साहब

मैं गया वक्त नहीं हूँ || मिर्जा गालिब

 मैं गया वक्त नहीं हूँ || मिर्जा गालिब

"मेहरबा हो के बुला लो,

मुझे चाहो जिस वक्त,

मैं गया वक्त नहीं हूँ ,

कि फिर आ भी न सकूँ" !! -मिर्जा गालिब

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...