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जाके भी दुनिया से इंसान कहाँ जाता है|| राजेश रेड्डी

 जाके भी दुनिया से इंसान कहाँ जाता है

मरके भी जीने का अरमान कहाँ जाता है जाके भी दुनिया से इंसान कहाँ जाता है देखना है कि जो उठता है परेशाँ दिल से वो धुआँ होके परेशान कहाँ जाता है ये सुना है कि नज़र रखती है दुनिया मुझ पर मेरा दुनिया की तरफ़ ध्यान कहाँ जाता है - राजेश रेड्डी

कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

  कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते कि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई ज़माने की फटकार सरमाया इन का जहाँ भर की धुत्का...