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Barish pr kuch shayariya

        "बारिश" पर कुछ शायरिया



याद आई वो पहली बारिश

जब तुझे एक नज़र देखा था
- नासिर काज़मी

उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
- जमाल एहसानी

उस को आना था कि वो मुझ को बुलाता था कहीं
रात भर बारिश थी उस का रात भर पैग़ाम था
- ज़फ़र इक़बाल

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
- सज्जाद बाक़र रिज़वी

साथ बारिश में लिए फिरते हो उस को 'अंजुम'
तुम ने इस शहर में क्या आग लगानी है कोई
- अंजुम सलीमी

मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी 
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं 
- सुल्तान अख़्तर

अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है 
जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की 
- परवीन शाकिर

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर 
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए 
- सज्जाद बाक़र रिज़वी

बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी 
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी 
- हसरत मोहानी

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था 
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था 
- क़तील शिफ़ाई

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने 
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है 
- निदा फ़ाज़ली

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...