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Maja hi kuch or hai


Tere hath kaa mere hatho me hone kaa maza hi kuch or hai,
Hamsafar tujhe banane kaa maja hi kuch or hai,
Vese to jee rhe hai yu hi,
Par tere sath jeene kaa maja hi kuch or hai..

Roo kr muskurane kaa maja hi kuch or hai,
Kho kr paane kaa maja hi kuch or hai,
Haar to zindagi kaa hissa hai mere dost,
Haar kr jeet jeene kaa maja hi kuch or hai,

बातो की, बातो ही, बातो में,


  बातो की,बातो ही,बातो में,
  कि अब बात क्या मरे,
  लेके बैठे हैं कलम हाथ मे कि
  अब इस बार उसे क्या लिखें,

  जबाबो की बारिश में वो नहाना नही चाहती,
  तो अब सवालो की बरसात क्या करे,
  कि अब बात क्या करे..

  है यकी इस बार भी,
  मेरे जज्बातो को अल्फ़ाज़ ही समझेगी वो,
  कि होना है बे-इज़्ज़त इस बार भी
  तो अब बात क्या करे..

  अच्छा,सुनो, कैसी हो.?? वगैरह-वगैरह...
  ये सब तो पूछ लिया हैं,
  अब बात दिल की भी लिख दिया करे क्या,
  कि अब बात कर लिया करे क्या.

  बातो की,बातो ही,बातो में,
  कि अब बात क्या करे
  लेके बैठे है कलम हाथ मे कि
  इस बार क्या लिखे।
              -VISHAL CHAUHAN
    

चलो फिर से शुरुआत करते है।


चलो फिर से शुरुआत करते है,

जो हो गया उसे हो जाने दो
काल था बीत जाने दो
काली अंधेरी रात बीता कर
नई सुनहरी सुबह की बात करते है,
चलो फिर से शुरुआत करते है।

क्या-क्या खोया क्या-क्या पाया
कितना तुम्हे अपनो ने तड़पाया
सारी पीड़ा पीछे रख कर
एक नया आगाज़ करते है,
चलो फिर से शुरुआत करते है.

मुश्किलो को अब आने दो
तुम अंगद सा पैर जमा दो
कठिनाइयों का अपनी विनाश करते है
नये कल की बात करते है,

चलो फिर से शुरुआत करते है,
चलो शून्य से शुरुआत करते है।
                                                 -VISHAL CHAUHAN


चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...