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कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

 

कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़



ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते

कि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई

ज़माने की फटकार सरमाया इन का

जहाँ भर की धुत्कार इन की कमाई

ना आराम शब को ना राहत सवेरे

ग़लाज़त में घर नालियों में बसेरे

जो बिगड़ें तो इक दूसरे को लड़़ा दो

ज़रा एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो

ये हर एक की ठोकरें खाने वाले

ये फाक़ों से उकता के मर जाने वाले

ये मज़लूम मख़लूक़ गर सर उठाए

तो इंसान सब सरकशी भूल जाए

ये चाहें तो दुनिया को अपना बना लें

ये आका की हड्डियाँ तक चबा लें

कोई इन को एहसास-ए-ज़िल्लत दिला दे

कोई इन की सोई हुई दुम हिला दे

Teri aankhon ke siwa duniya main rakha kya hai ||Faiz Ahmed faiz

 Teri aankhon ke siwa duniya main rakha kya hai


Teri surat se hai alam mein baharon ko sabaat,

teri aankhon ke siwa duniya main rakha kya hai. -Faiz Ahmed Faiz.

किसी बहाने तुम्हे याद करने लगते है -फैज अहमद फैज़

किसी बहाने तुम्हे याद करने लगते है -फैज अहमद फैज़

 

1.दिल धड़कने का सबब याद आया

वो तेरी याद थी अब याद आया - नाशिर काजमी

2. तुम्हारी याद के जख्म जब भरने लगते हैं

किसी बहाने तुम्हे याद करने लगते है -फैज अहमद फैज़



कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

  कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते कि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई ज़माने की फटकार सरमाया इन का जहाँ भर की धुत्का...