Showing posts with label sahir ludhiyanvi. Show all posts
Showing posts with label sahir ludhiyanvi. Show all posts

कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं साहिर लुधियानवी

 कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं साहिर लुधियानवी



कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं

कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती

तो शादाब हो भी सकती थी।


यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं

तेरी नज़र कि शुओं मैं खो भी सकती थी।


मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं

कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं।


गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,

इससे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं|


न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग

भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी|


इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर

मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही


कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता है|


****************************

शादाब /Shadab=fresh,delightful

रंज/Ranj=distress,grief

जुस्तजू /Justjoo=desire

हम-नफस/Hum-nafas=companion,friend


by- साहिर लुधियानवी


चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...