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हिंदी है हम, वतन है हिंदुस्ता हमारा

 

हिंदी है हम, वतन है हिंदुस्ता हमारा

हिंदुस्तान के मिट्टी से उन्हें मुहब्बत है

देखा उन्होंने जहाँ अपनों के शहादत है
कुदरत है! एक ओर तो...
साथ खड़ी, इंतजार मे दूसरी जन्नत.
रब करें की कड़ी परीक्षा को दे सकें वे शिकस्त
बांग्लादेश,पाकिस्तान,अफगान
पर खुदा जहाँ हमार मेहरबान, जन्नत-ऐ-हिंदुस्तान.
हूं..वरना पाकिस्तान क्यों नहीं?
आखिर क्यों??????
क्या हिंदुस्तान उनके आखरी पैगाम.
चलो दे एक ओर बार अपने हिन्द को सलाम
जहाँ जन्में, सुभाष बाबू, हम और हमारे अब्दुल कलाम
खुदा है मेहरबान..जन्नत-ऐ-हिंदुस्तान.
पर है लगता बेवफा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगान
पाकिस्तान भी है, बांग्लादेश भी है, अफगान भी तो है
पर वोह हिंदुस्तान आये है!!!!!
मज़बूरी से जूझकर मजबूत बन आये है ***
उन्हें लगाव है!
अपनों को खून से इस मिट्टी को सींचते उन्होंने देखें है
गाँधी जी के नेतृत्व मे ख्याब जन्नत की बिछोते उन्होंने देखे हैं
क्योंकि पहले वह हिंदी है फिर हिंदी,
अब हिंदी की नई रंग लाये हैं
पाकिस्तान उनके मज़बूरी है
हाँ, वोह मजबूती के पास आये है
बस हिंदुस्तान मे ही अपनों की यादे जुड़ी है
साथ जिनके मैं,मैं,मैं जैसे करोड़ो भाईयों की आवाज़ खड़ी है
धर्मों के नाम पर प्रताड़ित भाइयों को हमने फिर पुकारे है
महाकाल का वह छोरे है, स्वंम की मजबूरी खुद स्वीकारे हैं
हाँ, तकलीफो से जूझकर वो हिंदुस्तान आये हैं
क्योंकि हिंदुस्तान ने उन पर शहादत नहीं मोह्हबत बरसायी है

कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

  कुत्ते – फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते कि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई ज़माने की फटकार सरमाया इन का जहाँ भर की धुत्का...