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टीचर्स डे स्पेशल शायरियां

 

टीचर्स डे स्पेशल शायरियां।।

अदब तालीम का जौहर है ज़ेवर है जवानी का

वही शागिर्द हैं जो ख़िदमत-ए-उस्ताद करते हैं

-चकबस्त ब्रिज नारायण

देखा न कोहकन कोई फ़रहाद के बग़ैर
आता नहीं है फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर
-अज्ञात

जैसे सय्यादों को सय्यादी से रहती है ग़रज़
काम उस्तादों को वैसे अपनी उस्तादी से है
- ज़फ़र कमाली

जिन के किरदार से आती हो सदाक़त की महक
उन की तदरीस से पत्थर भी पिघल सकते हैं
-अज्ञात

अब मुझे मानें न मानें ऐ 'हफ़ीज़'
मानते हैं सब मिरे उस्ताद को
-हफ़ीज़ जालंधरी

किस तरह 'अमानत' न रहूँ ग़म से मैं दिल-गीर
आँखों में फिरा करती है उस्ताद की सूरत
-अमानत लखनवी

शागिर्द हैं हम 'मीर' से उस्ताद के 'रासिख़'
उस्तादों का उस्ताद है उस्ताद हमारा
-रासिख़ अज़ीमाबादी

उस्ताद के एहसान का कर शुक्र 'मुनीर' आज
की अहल-ए-सुख़न ने तिरी तारीफ़ बड़ी बात
-मुनीर शिकोहाबादी

वही शागिर्द फिर हो जाते हैं उस्ताद ऐ 'जौहर'
जो अपने जान-ओ-दिल से ख़िदमत-ए-उस्ताद करते हैं
-लाला माधव राम जौहर

कुछ तड़पने का सिसकने का मज़ा लेने दे
इतनी ताजील मिरे क़त्ल में जल्लाद न कर
- अब्दुल अलीम आसि

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...