जाके भी दुनिया से इंसान कहाँ जाता है|| राजेश रेड्डी

 जाके भी दुनिया से इंसान कहाँ जाता है

मरके भी जीने का अरमान कहाँ जाता है जाके भी दुनिया से इंसान कहाँ जाता है देखना है कि जो उठता है परेशाँ दिल से वो धुआँ होके परेशान कहाँ जाता है ये सुना है कि नज़र रखती है दुनिया मुझ पर मेरा दुनिया की तरफ़ ध्यान कहाँ जाता है - राजेश रेड्डी

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