एक दिन वो मुझसे बिछड़ा और मैं पैदल हो गया || Tahzeeb hafi
तपते सहराओं में सब के सर पर आंचल हो गया
उसने जुल्फ़ें खोल दी और मसअला हल हो गया
आंख जैसे तुझको रुखसत कर के पत्थर हो गई
हाथ तेरी छतरियां थामे हुए शल्ल हो गया
बादलों में उड़ रहा था मैं वो जब तक साथ था
एक दिन वो मुझसे बिछड़ा और मैं पैदल हो गया
~ तहज़ीब हाफ़ी
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