न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, मिर्जा गालिब

 न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,





न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता ! - मिर्जा गालिब

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