चमकता चांद महकती कली मोहब्बत है
चमकता चांद महकती कली मोहब्बत है किसी भी शक्ल में हो ज़िन्दगी मोहब्बत है चराग़ राह में हो या गुलाब टहनी पर हवा से लड़ती हुई रौशनी मोहब्बत है ये जो ग़ुबार है दीवानगी है सहरा की पहाड़ काट के बहती नदी मोहब्बत है - शकील आज़मी
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