Nakaam mohabbat by Yasra Rizvi

 Nakaam mohabbat by Yasra Rizvi



तुमसे मोहब्बत नाकाम कर रहे है,

ये कैसा जुनून है ये क्या काम कर रहे है,

शायद कुसूर तेरे होने का है,

या खुद अपना किस्सा तमाम कर रहे है,

ये सिया आँखे ,ये हया आँखे,

वो दिल का चैन काया आँखे,

ये किस नज़र को भर के देखा है,

हम अपना चेहरा तेरे नाम कर रहे है,

यू बंदगी का दावा सरे आम कर रहे है,

तेरी आवाज में जो राज है,

उनकी ही शरारत होगी,

ये जो गुफ़्तगू के अंदाज है,

उनकी ही हरारात होगी,

कि तेरी सोच में फना रहू बाबजूद अपनी सूरत के,

तेरा अक्स में बना रहूं,

ख़्वाहिश में दीदार की दीवार से लगा रहूं,

तू किस घड़ी पुकार ले, में रात भर जगा रहूं,

ये बबस्तगी, ये फरेफ़्तगी, हाये ये मेरी तिशनगी,

गलत नही है जो नासै आयद ये इल्जाम कर रहे है,

लगा के आग मयकदो को हम तुंझे जाम कर रहे है,

बिक गए है सारे ख्याब तुझे ओर ये सौदा हम बिना दाम कर रहे है,

मेरा हाल सुन के वो मुस्कुरा रहा है, 

उसे क्या खबर कोई जान से ही जा रहा है,

बेधड़क दिल की बात कह दु तो,

चुप ही रहता है बस बदलता है पहलू वो,

इस अदा से मुझे बहला रहा है , मेरा दिलबर मेरा हौसला आजमा रहा है,

पर हौसला इस फ़क़ीर का,उसका दिल बड़ा रहा है,

अब हम हँस रहे है,

इनक़ार में ही सही कही तो बस रहे है,

तेरी बेरुखी की छांव में आराम कर रहे है,

कोई डर नही की खुद को बदनाम कर रहे है,

हम तो तेरे गुरुर का अहतमाम कर रहे है,

ना जोर था आगाज पे, ना फिक्र-ए-अंजाम कर रहे है,

अभी तो पहली बारिश है मोहब्बत की,

तुमसे किसने कहा कि  एहतिशाम कर रहे हैं..- YASRA RIZVI

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1.Kya pyar ek baar hota.yasra rizvi

2.Tum kaamal karte ho.. yasra rizvi

3.Vo kaichi umar ke pyaar.. Yasra rizvi

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