Rahat indori shayari collection..

 Rahat indori shayari collection..


रात की धड़कन जब तक जारी रहती है 

सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है 


जब से तू ने हल्की हल्की बातें कीं 

यार तबीअत भारी भारी रहती है 


पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में 

हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है 


वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुँचे हैं 

जिन लोगों के पास सवारी रहती है 


छत से उस की धूप के नेज़े आते हैं 

जब आँगन में छाँव हमारी रहती है 


घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया 

घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

Rahat indori shayari collection..


No comments:

Post a Comment

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...