दोस्तों से जरा तो वफा कीजिए।
फर्ज अपना है जो वो अदा कीजिए।।
मर गई है कहां इन दिनों देखिए।
जिंदगी का कहीं तो पता कीजिए।।
घाव मेरे भरें ना भरें आप तो।
डालिए फिर नमक फिर हवा कीजिए।।
ऐश से फिर कटे यार ये जिंदगी।
दर्द जो मिल रहे हैं जमा कीजिए।।
हम जिएं या मरें क्या करें बोलिए।
आप मुंसिफ हैं जो फैसला कीजिए।।
आपकी जान ले ले न चुप्पी कहीं।
यूं न चुपचाप घर में रहा कीजिए।।
फिर भंवर में फंसी नाव है दर्द जी।
नाखुदाओं खुदा से दुआ कीजिए
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