बुरी हो ,चाहे भली हो,मगर खबर में रहो
ये सब तुम्हारे ही घर है किसी भी घर मे रहो
जला न लो कही हमदर्दियो में अपना वजूद
गली में आग लगी हो तो अपने घर मे रहो
तुम्हे पता ये चले घर की राहते क्या है
हमारी तरह अगर चार दिन सफर में रहो
है अब ये हाल कि दर-दर भटकते फिरते हैं
गमो से मैने कहा था कि मेरे घर मे रहो
किसी को जख्म दिए है किसी को फूल दिए
बुरी हो, चाहे भली हो, मगर खबर में रहो..
-राहत इंदौरी
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