आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो

 आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ~राहत इंदौरी


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो

ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो


राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें

रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो


एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो

दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो


आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में

कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो


ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे

नींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो ~ राहत इंदौरी


No comments:

Post a Comment

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...