तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया TAHJEEB HAFI

 


तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ

जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया

इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ

उस ने जिस जिस को भी जाने का कहा बैठ गया

अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहीं

चीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया

उस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपने

इस पे क्या लड़ना फुलाँ मेरी जगह बैठ गया

बात दरियाओं की सूरज की तेरी है यहाँ

दो क़दम जो भी मिरे साथ चला बैठ गया

बज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूस

जो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया

TAHJEEB HAFI

SOME MORE OF TAHJEEB HAFI

1.Mujhse milta hai pr jism ki sarhad paar nhi krta

2.EK din mujse bichda or paidal ho gya


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