Achha Aadmi Tha By Rakesh Tiwari

बहुत अच्छा आदमी था
ये बात तुमने कह दी यकीन से
या अंदाज़े पर
अब कुछ ना कुछ तो कहना बनता था ना
उसके जनाजे पर
 नहीं कहते तो जमाने को तुम्हारी अच्छाई पर शक हो जाता
अगर वह सुनता ना तो खुशी के मारे पागल बेशक हो जाता 
खैर ये बताओ कि अच्छा ही था तो
अच्छे पन का हिसाब क्यों नहीं दिया
हफ्ते भर से कुछ पूछ तो रहा था ना वो
कभी सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया
वो जब पूछता कि मेरी जिंदगी में गमों के सिवा कुछ बाकी रहेगा या नहीं
और फिर तुम हंसकर कह देते कि
यार तू उसके सिवा कुछ और कहेगा या नहीं
काश के हंसी ठहाके सिलसिले को तोड़ कर देखा होता
काश के जितने बार उसे अलविदा कहा
उसी रास्ते पर रुक के पीछे मुड़कर देखा होता
तो जानते कि तुमसे मिलने के बाद वह कभी घर नहीं गया था
उसके चेहरे से नाराज़गी का असर नहीं गया था
वही पेड़ के सहारे सड़क के किनारे बैठ जाया करता था
आते जाते मुसाफिरों से रूठ जाया करता था
तुम जानते थे ना कि वह हम सब से कुछ दिनों से बड़ा अलग अलग सा दूर सा रहता था
पर क्या यह जानते हो कि अकेले पलंग पर लेटे अपने घर में पंखों दीवारों को घूरता रहता था
कहा तो था उसने कि मिलो, मुलाकातें करनी है
जो किसी और से नहीं कहीं वह तुमसे बातें करनी है
और तुम
ऐसे में जिंदगी कैसे जीनी चाहिए ऐसी बातें फर्जी भेज कर दो चार चुटकुलों के साथ हंसी वाला इमोजी भेज कर तुम्हें लगता था कि वह सम्भल जाएगा
सम्भला नहीं तो क्या हुआ
अच्छा आदमी है समझ जाएगा
पर वो तुम्हारी चीजों को पढ़कर सोचता था
कि एक मेरे पास ही हंसने की हसरत क्यों नहीं है
इस जिंदगी में मेरे सिवा ही किसी को मेरी जरूरत क्यों नहीं है
जरूरत है.. काश कि उसे एहसास दिला दिया होता
काश कि उसे एहसास दिला दिया होता
बिना वजह गले लगा कर पास बैठा लिया होता
काश के जानते कि हर रोज वह जानबूझकर बिना कुछ खाएं बेहोश कैसे हो जाता था
काश की समझते क्यों बोलते बोलते खामोश कैसे हो जाता था
काश की उसके लिए ही उससे लड़ लिया होता उसके घर की दीवारों से ज्यादा उसकी उस डायरी को पढ़ लिया होता
तो जानते कि उसकी आंखों में कोई सपना नहीं था
उसके अपने बहुत थे पर उसका कोई अपना नहीं था
काश की हम में से कोई तो उसके घर पर वक्त पर पहुंचा होता
तो उसने उस दवाई की शीशी को खोलने से पहले कुछ तो सोचा होता

-Rakesh Tiwari

No comments:

Post a Comment

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...