Kya pyar ek baar hota hai ..|||Yasra rizvi.

 

Kya pyar ek baar hota hai ...




क्या प्यार एक बार होता है,नही ये बार बार होता है 

तो फिर क्यों ,किसी एक का इन्तेजार होता है 


वो ही तो सच्चा प्यार होता है,

प्यार भी क्या इंसान होता है

कभी सच्चा कभी झूठा ,बेईमान होता है


उसकी रागों में भी, क्या खानदान होता है

और मकसदे हयात ,नफा नुकसान होता है 

प्यार तो प्यार होता है प्यार होता है 


बिछड़ भी जाये,तो दिलदार होता है 

जब भी हो जिससे भी हो, शानदार होता है

हो एक बार की सौ दफा ,

प्यार का भी कोई शुमार होता है 


बार बार जो हो जाये, क्या उसे प्यार कहते है 

अजी आपसो को लोग,बद-किरदार कहते है 


हम जिन्हें तहजीब का,ठेकेदार कहते है, 

वो आपको मजनून,और बीमार कहते है 


अगारगीये सोच का,आलम बरदार कहते है 

शुरफ़ा को रोक रोक के,खबरदार कहते है 


चलो बदकिरदार सही,झूठे तो नही है 

नसीब किसी के ,हमसे फूटे तो नही है 


हसरतों के बोझ तले,टूटे तो नही है 

सवारे है फकत तेरी,लूटे तो नही है

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