किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है

 किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है ....




किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है 


कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही है 


अजीब दुख है हम उस के हो कर भी उस को छूने से डर रहे हैं 


अजीब दुख है हमारे हिस्से की आग औरों में बट रही है 


मैं उस को हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करता 


सुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही है 


मुझ ऐसे पेड़ों के सूखने और सब्ज़ होने से क्या किसी को 


ये बेल शायद किसी मुसीबत में है जो मुझ से लिपट रही है 


ये वक़्त आने पे अपनी औलाद अपने अज्दाद बेच देगी 


जो फ़ौज दुश्मन को अपना सालार गिरवी रख कर पलट रही है 


सो इस त'अल्लुक़ में जो ग़लत-फ़हमियाँ थीं अब दूर हो रही हैं 


रुकी हुई गाड़ियों के चलने का वक़्त है धुंध छट रही है 

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