अहमद फ़राज़ top shayari collection

अहमद फ़राज़ top shayari collection

1.दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है 
और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता 

2.तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़' 
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला 

3.आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा 
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा 

4.और 'फ़राज़' चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे 
माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया 

5.बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़' 
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ 

6.अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो 
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए 

7.न मंज़िलों को न हम रहगुज़र को देखते हैं 
अजब सफ़र है कि बस हम-सफ़र को देखते हैं 

8.याद आई है तो फिर टूट के याद आई है 
कोई गुज़री हुई मंज़िल कोई भूली हुई दोस्त 

9.शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर 
मैं ने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला 

10.हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं 
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे 

11.ये दिल का दर्द तो उम्रों का रोग है प्यारे 
सो जाए भी तो पहर दो पहर को जाता है 

12.तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है 
ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो 

13.भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब 
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है 

14.जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया 
अब तुम तो ज़िंदगी की दुआएँ मुझे न दो 

15.तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा 
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें 

16.तुझ से मिल कर तो ये लगता है कि ऐ अजनबी दोस्त 
तू मिरी पहली मोहब्बत थी मिरी आख़िरी दोस्त 

17.मुन्सिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे 
मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते 

18.हम तिरे शौक़ में यूँ ख़ुद को गँवा बैठे हैं 
जैसे बच्चे किसी त्यौहार में गुम हो जाएँ 

19.अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के 
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो 

20.जिस से ये तबीअत बड़ी मुश्किल से लगी थी 
देखा तो वो तस्वीर हर इक दिल से लगी थी 

21.दिल का दुख जाना तो दिल का मसअला है पर हमें 
उस का हँस देना हमारे हाल पर अच्छा लगा 

No comments:

Post a Comment

चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह

  चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे~. बुल्लेशाह “चढ़दे सूरज ढलदे देखे बुझदे दीवे बलदे देखे हीरे दा कोइ मुल ना जाणे खोटे सिक्के चलदे ...