चिराग़-ए-दिल बुझाना चाहता था
वो मुझको भूल जाना चाहता था !
मुझे वो छोड़ जाना चाहता था,
मगर कोई बहाना चाहता था !
सफ़ेदी आ गई बालों पे उसके,
वो बाइज़्ज़त घराना चाहता था !
उसे नफ़रत थी अपने आपसे भी,
मगर उसको ज़माना चाहता था !
तमन्ना दिल की जानिब बढ़ रही थी,
परिन्दा आशियाना चाहता था !
बहुत ज़ख्मी थे उसके होंठ लेकिन,
वो बच्चा मुस्कुराना चाहता था !
ज़बाँ ख़ामोश थी उसकी मगर वो,
मुझे वापस बुलाना चाहता था !
जहाँ पर कारख़ाने लग गए हैं,
मैं एक बस्ती बसाना चाहता था !
उधर क़िस्मत में वीरानी लिखी थी,
इधर मैं घर बसाना चाहता था !
वो सब कुछ याद रखना चाहता था,
मैं सब कुछ भूल जाना चाहता था
-मुनव्वर राना
वो मुझको भूल जाना चाहता था !
मुझे वो छोड़ जाना चाहता था,
मगर कोई बहाना चाहता था !
सफ़ेदी आ गई बालों पे उसके,
वो बाइज़्ज़त घराना चाहता था !
उसे नफ़रत थी अपने आपसे भी,
मगर उसको ज़माना चाहता था !
तमन्ना दिल की जानिब बढ़ रही थी,
परिन्दा आशियाना चाहता था !
बहुत ज़ख्मी थे उसके होंठ लेकिन,
वो बच्चा मुस्कुराना चाहता था !
ज़बाँ ख़ामोश थी उसकी मगर वो,
मुझे वापस बुलाना चाहता था !
जहाँ पर कारख़ाने लग गए हैं,
मैं एक बस्ती बसाना चाहता था !
उधर क़िस्मत में वीरानी लिखी थी,
इधर मैं घर बसाना चाहता था !
वो सब कुछ याद रखना चाहता था,
मैं सब कुछ भूल जाना चाहता था
-मुनव्वर राना
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